1.
राग - सोहनी ताल – दादरा
आज नंदजू के आनन्द बधार्इ, जसुमति रानी
मदन मनोहर, जायो पूत
कन्हार्इ ।।
बृजनारी जित तित ते आवें, भूषन वसन
अनमोल लुटावें,
अैसी मगन प्रेम रस वोरी आनन्द उर न समार्इ ।।
नाचे गोप आंगन में ठाड ़े हेरी दे दे कूदत वारे,
कुंवर श्याम जुग जुग चिर जीवो , गोकुल में निधि
आर्इ ।।
2.
राग - ताल - झप
चलो री जसोधा देवें बधार्इ,
सगरे बृज में धूम मच रही,
बडभागन ने जायो है, पूत कन्हार्इ , आनन्द हिय न
समार्इ ।।
हेरी दे दे नन्द भवन में नाचें लोग लुगार्इ,
कुवंर श्याम ललना झूलें पलना दधि की कीच ।।
3.
राग - ताल -
(है) आज (होत) नंद के बधार्इ ।।
तुम जाओ क्यों ना पहरो जी जामा, बांध पाग तुम जाओ
क्यों ना ।।
नचत (हौ) गोप सब हैरी दे दे, आंगन में तुम
तो न मानो मेरी,
भूषण चीर लाओ क्यों ना ।।
कुंवर श्याम जसुधा के जन्म लिये, वाको मुख
चन्द देख,
जन्म मिटाओ क्यों ना ।।
4.
राग - भोपाली कल्याण ताल - तिताल
बन ठन आर्इ नंद महल ।।
पुत्र जन्म सुन अति उमंग सों, गावत गीत हंसत
बृजबाला ।।
नुपूर पग कटि किंकिणि कानन कर्ण फूल छवि भ्राजे
।।
5.
राग - ताल - भयो
तू कहा परी सोवे री ।
भयो बृज को जीवन धन नैनन निरख ।।
होत वृज में आनन्द, कहा सोवे मति मंद,
नंद रानी जायो चंद, तू चकोरी क्यों
ना होवे री ।।
ठाडे़ गावत बधार्इ , नाचे लोग लुगार्इ
,
हौं तो अब
सुन आर्इ, उठ क्यों ना मुख धोवे री ।।
न्ांद राय देत दान, बेगिन पाये
सन्मान,
बृज तू ही रही अजान, धरी पल जिन खोवे
री ।।
कुंवर श्याम ललना झुलावैं सब पलना,
तू भी ताकी छवि क्यों ना दृगन समोवे री ।।
6.
राग - ताल - तिताल
रानी तेरो लाल है जग उजियारो री ।।
भवें कमान नैन रतनारे, सांवरी सूरत लागे
प्यारी री । ।
भाल विशदककीर अरूणा घर, सुमुख के घुंघर
वारो री ।।
लार्इ हूं पलना झुलावो घर ललना, जीवन प्राण आधारो
री ।।
कुंवर श्याम जुग जुग चिरजीवो, जननी अंखियन तारो
री ।।
7.
राग - अल्हैया ताल - धम्माल
आनन्द आज नंद घर आर्इ , रानी जसुमति जायो
कन्हार्इ ।।
गोपी ग्वाल सब आवत गावत, चलो री चलो री सब
देत बधार्इ ।।
द्वारन बंदनवार बधावो, धन्य दिन धन आज
की रैन सुहार्इ ।।
कुंवर श्याम की छब अब निरखो क्यों ना ,
नैनन कहत मृदु बैनन हिये हरष न समार्इ ।।
8.
राग - तोड़ी ताल - धम्माल
ढाणी सुन आयो तिहारो नंदराय जी ढाणिन ह ंू संग
लायो ।।
बहुत दिनन से रही कामना यही,
जो मन की सो दिन दैव दिखायो ।।
नंदराय अैसो कुछ दीनो अपनो, कीनो जाजक नाम
मिटाओ ,
कुंवर श्याम जसुधा जुग जुग जीवौ,
यह आशीष दै फूलो अंग न समायो ।।
9.
राग - आसावरी ताल - झपताल
मगन मन डोले सब नरनारी आज बृज घर घर
बजत बधार्इ, जायो पूत
कन्हार्इ री ,
दधि कांदौ सब करत आनन्द भरे, गारी गावत आ ंचर
परस्पर जोरे ।।
कुंवर श्याम मुख चन्द तिहारे, करत निछावर भूषण
वसन अमोले
बरन बरन की पहरे साड़ी बृज वासिन मृदु बोले ।।
10.
राग - भैरवी ताल - एकताल
याही पलना से ललना झुलाऔ, आज ही गढ़
लायौ ।।
चन्दन कौ सुभग सुनो, बृजराज महाराज
नंद ,
मोल अमोलन मोल बताऊं
तेरे लालन की बलि बलि जाऊं, जो तुम दियो हम
सब कछु पायो ,
मुख दिखरावो कुंवर श्याम आनन्द कन्द ।।
11.
राग - भैरवी ताल - एकताल
तेरो री छगन मगन चिरजीवो बृज को जीवन मार्इ,
हों तो तेरे घर का ढाढिन आशिष देत आर्इ ।।
ढाढी को यहि राव न सन कछु दर्इ नंदराय,
मै तो महारानी अवहूू कौडी न ही पार्इ ।।
कोट वरष जीवो रानी तेरो कुंवर श्याम,
राज करो वृज में होय नित मंगल बधार्इ ।।
12.
राग - बिलावल ताल - झपताल+सूल
सुन आर्इ मदिलरा, आज नंद जू के
मंदिर बाजे ।
गोपी ग्वाल मगन भए, नाचे हेरी दे दे
मार्इ ।।
राजा ए उन गिनत काहू को आनन्द मन नाच मार्इ ।।
कुंवर श्याम जसुधा के प्रघट भए,
घर घर बंटत बधार्इ ।।
13.
राग - टोडी जौनपुरी ताल - धम्माल
यह ढाढ़ी अनौखौ महर घर आयो, गोवर्धन अपनो नाम
बतायौ ।।
न लेहु रूपैय्या और भूषण रे भैया, दिखावो कन्हैया
जो जसुधा ने जायो ।।
जो मांगो सो पायो, यहि सुन आयो ।
जन्म लियो कुंवर श्याम सुत, खाय पंजीरी नैनन
जल छायौ ।।
14.
राग - संदूरा ताल - धम्माल
आज छठी है हमारे लालन की, आओ सखी गाओ ,
मन मोद बढ़ाओ, जनि हारी नित
झगरो करत ह ,ै
मन माने भूषण पहिराओ ।।
वीणा मृदंग भेर सहनार्इ, मुरज मुंचग सुरंग
बजाओ ।।
कहत रोहिणी सुनो महर जू, कुंवर श्याम को
नैक जगाओ ।।
|