अनुक्रमणिका (वसंत - पृष्ठ)
क्रम संख्या
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रचना
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राग
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ताल
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पृष्ठ
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Audio Sample
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1
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आगम की नोरी ए सखि मदन सुभट नृप् समाज साज
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बहार
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ध्रुपद
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10
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2
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सघन वन गगन पवन चलत पुरवार्इ री आर्इ ऋतु वसंत आर्इ
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बहार
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तिताला
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10
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3
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ए बंसत ऋतु आर्इ री मार्इ । वन सघन लता द्रुम
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हिंडोल
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झपताल
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10
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4
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आज सखी आर्इ वसंत आनंद मै
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मालकौंस
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झपताल
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10
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5
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निश दिन पिया विन देखो री तरफत जिया मोरा
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बहार
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सूल
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10
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6
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चलो सखी री आज खेले बंसत हरि सो
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बहार
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झपताल
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10
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7
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डार डार पात पात झूले
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बहार
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तिताला
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10
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8
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ए सखी बृज की नार हरि सग
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वंसत
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आड़ा चौताला
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10
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9
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सारंग नैनी कोकिल मृदु वैनी हरि संग सब मिल खेलन आर्इ वंसत
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वंसत
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सूल
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10
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10
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खेलत आज वंसत कंध सो
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बसंत
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धम्माल
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10
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11
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कैसी वसंत कध घर ना ही विरह कियो तन पीत
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वंसत
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चांचर
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10
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12
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परत न चैन नैन एक छिन प्रीतम प्यारे दर्शन
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सोहनी वसंत
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एक ताल
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10
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13
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चलो सखी पिय संग खेले वसंत अब आर्इ बहार
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वसंत बहार
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तीताला
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10
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14
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बोलन लागे री ऐ सखी भँवरा
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बहार
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सूल
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10
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15
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उन विन न कहे सजनी रजनी दिन
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साहिनी बसंत
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तिताला
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10
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16
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अंबुवन की डार डार सुन सखी कुहक रही
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बहार
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तिताला
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10
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17
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सखी हरि दर्शन को मेरी निश दिन तरसत अंखियां
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बहार
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एकताल
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10
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18
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पिया के बिन जिया में नहीं चैन, दिन रैन एस जनी
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बहार
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झपताल
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10
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19
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सखिन चल सघन कुंजन वन, कान्ह खेलै वसंत संग
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हिंडोल
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झपताल
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10
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20
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वृंदावन सघन कुंज चलिये वृजनार
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बहार
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एकताल
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10
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21
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आर्इ ऋतु वसंत वन विहार छार्इ
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बहार
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आडा चौताला
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10
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22
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ए री आज वसंत वृदावन में खेलत बृजनार
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वसंत
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ब्रहम
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10
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23
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मेरी एक पल पलक ना लागे री
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बहार
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तिताल
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10
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24
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आज सखी देखन चलिये
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बहार
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तिताल
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10
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25
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वृंदावन जमुना कूले सखि अंबुवा फूले
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बहार
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सूल
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10
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26
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सुन सखी बोल रही कोयलिया बागन अंबुवन की डार
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बहार
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तिताला
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10
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27
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कलियन कलियन फिरत भंवरवा ··कोयलिया डारन
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बहार
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झप
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10
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28
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राधा प्यारी गर बैआं डारे पिया संग
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बहार
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आडा
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10
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